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अगर है शौक अल्लाह से मिलने का – मंसूर अली के शब्द

Published on: July 15, 2023

इस ब्लॉग में हम मंसूर अली के शब्द अगर है शौक अल्लाह से मिलने का का सरलार्थ जानेंगे

अगर है शौक अल्लाह से मिलने का - मंसूर अली के शब्द

एक अच्छी आत्मा समशतरबेज मुसलमान मंसूर अली को परमात्मा कबीर जी अपने सिद्धांत अनुसार जिंदा बाबा के रूप में मिले थे । उन्हें अल्लाहू अकबर (कबीर परमात्मा) यानि अपने विषय में समझाया, सतलोक दिखाया, वापिस छोड़ा। उसके पश्चात् कबीर परमात्मा यानि जिंदा बाबा नहीं मिले। उसे केवल एक मंत्र दिया ‘‘अनल हक’’ जिसका अर्थ मुसलमान गलत करते थे कि मैं वही हूँ यानि मैं अल्लाह हूँ अर्थात् जीव ही ब्रह्म है। वह यथार्थ मंत्र ‘‘सोहं’’ है। इसका कोई अर्थ करके स्मरण नहीं करना होता। इसको परब्रह्म (अक्षर पुरूष) का वशीकरण मंत्र मानकर जाप करना होता है। समशतरबेज मुसलमान मंसूर अली परमात्मा के दिए मंत्र का नाम जाप करता था।

मंसूर अली के शब्द

अगर है शौक अल्लाह से मिलने का - मंसूर अली के शब्द हिंदी में: 

अगर है शौक अल्लाह से मिलने का, तो हरदम नाम लौ लगाता जा।।(टेक)।।
न रख रोजा, न मर भूखा, न मस्जिद जा, न कर सिजदा।
वजू का तोड़ दे कूजा, शराबे नाम जाम पीता जा।।1।।
पकड़ कर ईश्क की झाड़ू, साफ कर दिल के हूजरे को।
दूई की धूल रख सिर पर, मूसल्ले पर उड़ाता जा।।2।।
धागा तोड़ दे तसबी, किताबें डाल पानी में।
मसाइक बनकर क्या करना, मजीखत को जलाता जा।।3।।
कहै मन्सूर काजी से, निवाला कूफर का मत खा।
अनल हक्क नाम बर हक है, यही कलमा सुनाता जा।।4।।
अगर है शौक अल्लाह से मिलने का - मंसूर अली के शब्द

मंसूर अली के शब्द का सरलार्थ

अगर है शौक अल्लाह से मिलने का – मंसूर अली के शब्द हिंदी में

“अगर है शोक अल्लाह से मिलने का तो हरदम लौ लगाता जा।”

हे साधक! यदि परमात्मा से मिलने का शौक रखता है तो प्रत्येक श्वांस (दम) के द्वारा नाम का स्मरण करता रह।

“न रख रोजा, न मर भूखा, न मस्जिद जा, न कर सिजदा।
वजू का तोड़ दे कूजा, शराबे नाम जाम पीता जा।।1।।”

अर्थात् न तो (रोजा) व्रत रखकर भूखा मर, न मस्जिद में जाकर पत्थर के महल में (सिजदा) प्रणाम कर। (वजू) केवल जल से स्नान करने से मोक्ष नहीं है। सच्चे नाम के जाप से मोक्ष होगा। (कूजा तोड़ दे) घड़ा फोड़ दे यानि भर्म का मार्ग छोड़ दे। सच्चे नाम के जाप रूपी शराब पीता जा यानि राम के नाम का नशा कर।

“पकड़ कर ईश्क की झाड़ू, साफ कर दिल के हूजरे को।
दूई की धूल रख सिर पर, मूसल्ले पर उड़ाता जा।।2।।”

अर्थात् परमात्मा से प्रेम कर। उस प्रेम की झाड़ू से दिल को साफ कर। (दूई) ईर्ष्या को फूँककर धूल उड़ा दे यानि ईर्ष्या न कर, भक्ति कर।

“धागा तोड़ दे तसबी, किताबें डाल पानी में।
मसाइक बनकर क्या करना, मजीखत को जलाता जा।।3।।”

अर्थात् जो धागे में (तसबी) माला डाल रखी है। इसे तोड़ दे यानि मन की माला जपो। किताबें (कुरान, इंजिल, तौरत, जूबर ये चार कतेब कहे गए हैं) पानी में बहा दे।
इनमें परमात्मा प्राप्ति का मार्ग नहीं है। (मसाईक) विद्वान बनकर कर क्या करना है? (मजीखत) अहंकार का नाश कर।

“कहै मन्सूर काजी से, निवाला कूफर का मत खा।
अनल हक्क नाम बर हक है, यही कलमा सुनाता जा।।4।।”

अर्थात् भक्त मंशूर जी ने काजी से कहा कि माँस का (निवाला) ग्रास मत खा। यह (कूफर) पाप का है। अनल हक नाम वास्तव में (हक) सत्य है। यही (कलमा) मंत्रा बोलता रह।

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4 thoughts on “अगर है शौक अल्लाह से मिलने का – मंसूर अली के शब्द”

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