नमस्कार दोस्तों कहते हैं नारीरत्न की खान होती है लेकिन
क्या आप जानते हैं कि आज कल नारी (स्त्री, महिला) के साथ दिन प्रतिदिन बढ़ती बदसलूकी का कारण क्या है और इसका समाधान क्या है ? चलिए जानते है…
बॉलीवुड फ़िल्में, गाने जिनमे फूहड़ता कूट- कूट कर भरी होती है जो आज समाज में नारी के प्रति बुरा असर डाल रही हैं। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि आज कल नारी के साथ दिन प्रतिदिन बढ़ती बदसलूकी का कारण बॉलीवुड फ़िल्में, गाने आदि है जो रेप, नशा, चोरी, दहेज प्रथा जैसी बुराइयों को बढ़ावा देती हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के शिष्य इन सब का बहिष्कार करते हैं क्योंकि इन सब का हमारे दिमाग पर गलत असर पढ़ता है।
आइए जानते है कि संत रामपाल जी महाराज जी ने समाज में फैली कुरीतियों को किस प्रकार दूर कर एक नया सभ्य समाज तैयार कर रहे हैं..
संत रामपाल जी महाराज ने महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए समाज को जागरूक किया है। उनके प्रयासों से महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचारों में कमी आई है और समाज में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण हुआ है।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं,
पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव।
कहे कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।
संत रामपाल जी महाराज ने समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में बताते हैं कि बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं है। अंतर हमारी सोच के कारण है।
संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों से लाखों पुरुषों ने नशे का त्याग किया है, जिससे उनके परिवार, विशेषकर उनकी पत्नियों का जीवन सुखमय हुआ है। नशा मुक्त समाज की दिशा में उनके प्रयासों ने महिलाओं के जीवन में नई उम्मीद और खुशियां भरी हैं।
स्त्री को उसके असली सम्मान का हक संत रामपाल जी महाराज ने दिया है। कानून संविधान, संस्थाएं तो दशकों से लगे हैं लेकिन स्त्री की स्थिति समाज में आज भी नहीं सुधर सकी है। आज महज संत रामपालजी महाराज के दिए तत्वज्ञान के प्रभाव से ही उनके अनुयायी दहेज का लेन देन नहीं करते, हजारों बेटियां आज प्रसन्नता से सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं।
संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सादगीपूर्ण तरीके से विवाह, असुर निकंदन रमैणी का चलन बढ़ा है, जिससे दहेज और अनावश्यक दिखावे से मुक्ति मिली है। इससे न केवल बेटियों का सम्मान बढ़ा है बल्कि समाज में विवाह को एक पवित्र और सरल प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया गया है।
संत रामपाल जी महाराज ने भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए समाज को जागरूक किया है। उनके सत्संगों ने लड़के और लड़की में भेदभाव को समाप्त कर महिलाओं को सम्मान दिलाया है, जिससे समाज में बेटियां अब बोझ नहीं हैं।
संत रामपाल जी महाराज के दिए ज्ञान को समझ कर उनके शिष्य लड़का या लड़की में अंतर नहीं मानते, क्योंकि संत रामपालजी महाराज ने समझाया है कि दोनों परमात्मा के जीव हैं, स्त्री हो या पुरुष दोनों को परमात्मा पाने का बराबर अधिकार है, इससे परिवार में स्त्रियों व बेटियों का सम्मान सदैव बना रहता है।
तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने धर्म अनुसार महिला को देवी का दर्जा तो दिया पर साथ ही वह कब शुद्ध है कब अशुद्ध यह निर्धारित भी कर लिया। स्त्री को उसके असली सम्मान का हक सिर्फ संत संत रामपाल जी महाराज ने दिलाया है, उन्होंने ऐसा तत्वज्ञान दिया है जिसमें पाखंडवाद व छुआछूत की कोई जगह नहीं है।
संत रामपाल जी महाराज वह संत हैं, जिन्होंने नारी को खोया हुआ सम्मान दिलाने के लिए दहेज जैसी कुप्रथा को 17 मिनट के रमैनी विवाह(दहेज मुक्त विवाह) पद्धति से ख़त्म किया है।
संत रामपाल जी महाराज ने दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई व उसका पूर्णतः अंत किया जिससे लाखों बेटियों को बिना किसी आर्थिक दबाव के सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिला है। उनके इस प्रयास से समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ा है और विवाह को 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी द्वारा सरल व सादगीपूर्ण बनाया गया है।
आप भी संत रामपाल जी महाराज जी के मिशन से जुड़कर, बुराइयों का त्याग कर संत जी के नियमों पर चलकर अपना कल्याण करवाए ।
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