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एक सेठ और संत की कहानी – Hindi stories

Published on: October 5, 2022

नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए एक अनोखी कहानी लेकर आयें है आशा करते है आपको यह कहानी ( एक सेठ और संत की कहानी – Hindi stories ) बहुत पसंद आएगी तो चलिए कहानी कि शुरुआत करते है

एक सेठ और संत की कहानी - Hindi stories

सेठ का संत के आश्रम में जाना – Hindi stories

एक बार कि बात है एक सेठ एक दिन एक संत के आश्रम में गया। संत की आशीर्वाद से उसको अच्छा लाभ हो गया। एक दिन वह सेठ कुछ फल जैसे सेब-संतरों, केलों का बड़ा थैला भरकर संत जी के पास गया और संत जी से स्वीकार करने की प्रार्थना किया । संत जी ने उस फल के थैले को एक टोकरे में डाल दिए जिसमें फल प्रसाद रखते थे। सेठ दो दिन बाद गया तो टोकरा फलों से भरा था। कुछ प्रसाद संत ने भक्तों को बाँट दिया। कुछ भक्त फल प्रसाद लाए, वह टोकरे में डाल दिया। यह देखकर सेठ ने संत से कहा

कि महाराज! आप फल क्यों नहीं खाते?

संत जी बोले कि

मुझको मौत दिखाई देती है। इसलिए खाया नहीं जाता।

सेठ ने पूछा,

महाराज! कब जा रहे हो संसार से?

संत जी बोले,

आज से चालीस वर्ष पश्चात् मेरी मृत्यु होगी।

सेठ बोले,

हे महाराज! यूं तो सबने मरना है, फिर क्यों डरना? यह भी कोई बात हुई। इस तरह तो आम आदमी भी नहीं डरता। आप क्या बात कर रहे हो? सेठ जी दूसरे-तीसरे दिन आए और इसी तरह की बात करे।

संत द्वारा सेठ को जेल भेजना – Hindi stories

उस नगरी का राजा भी उस संत जी का भक्त था। संत जी ने राजा से कहा कि आपकी नगरी में किरोड़ीमल सेठ है। चंदन की लकड़ी की दुकान है। उसको फाँसी की सजा सुना दो और एक महीने बाद चांदनी चैदस को फाँसी का दिन रख दो। जेल में सेठ की कोठरी (कक्ष) में फलों की टोकरी भरी रहे तथा दूध का लोटा एक सेर (किलोग्राम) का भरा रहे। खाने को खीर, हलवा, पूरी, रोटी तथा सब्जी देना। राजा ने आज्ञा का पालन किया। जेल में सेठ जी को बीस दिन बंद हुए हो गए। निर्बल हो गया। संत जेल में गया। प्रत्येक बंदी से मिला। सेठ जी को देखकर संत ने पूछा,

कहाँ के रहने वाले हो? क्या नाम है?

सेठ बोला,

हे महाराज! आपने पहचाना नहीं, मैं किरोड़ीमल हूँ चंदन की दुकान वाला।

संत जी बोले,

अरे किरोड़ीमल! तुम दुर्बल कैसे हो गए? कुछ खाते-पीते नहीं। अरे! फलों की टोकरी भी भरी है, दूध का लोटा भरा है। थाली में हलवा, खीर रखी है।

सेठ जी बोले,

हे महाराज! मौत की सजा सुना रखी है। कसम खाकर कहता हूँ कि मैं निर्दोष हूँ। बचा लो महाराज। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं।

संत जी बोले,

भाई मरना तो सबने है। फिर क्या डरना। खा-पीकर मौज कर।

सेठ जी ने सलाखों में से हाथ निकालकर चरण पकड़ लिए। बोला,

बचा लो महाराज! कुछ ना खाया-पीया जाता, चांदनी चैदस दीखै सै।

संत ने कहा,

सेठ किरोड़ीमल! जैसे आज तेरे को चांदनी चैदस को मृत्यु निश्चित दिखाई दे रही है, इसी प्रकार साधु-संतों को अपनी चांदनी चैदस दिखाई देती है, चाहे चालीस वर्ष बाद हो।
आप अध्यात्म ज्ञानहीन प्राणी मस्ती मारते हो और अचानक मौत ले जाती है। कुछ नहीं कर पाते। ऐसे ही मुझे अपनी मृत्यु का दिन दिखाई देता है जो चालीस वर्ष बाद आना है। इस कारण से खाना-पीना ठीक-ठीक ही लिया जाता है।
मस्ती मन में कभी नहीं आती। परमात्मा की याद बनी रहती है। आपकी ज्ञान की आँखों पर अज्ञान की पट्टी बँधी है जो सत्संग में खोली जाती है जिससे जीने की राह मिल जाती है। मोक्ष प्राप्त होता है। संत ने राजा से कहकर सेठ को बरी करवा
दिया। सेठ ने नाम लेकर कल्याण करवाया।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि समय रहते भगवान यानि कि परमात्मा की सही भक्ति करनी चाहिए । उनको हमेशा याद रखना चाहिए क्योकि मृत्यु का कोई समय नहीं होता वो कभी भी हो सकती है । पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाना चाहिए ।

तो दोस्तों आपको यह कहानी ( एक सेठ और संत की कहानी – Hindi stories ) कैसी लगी कमेंट बॉक्स में अपनी राय अवश्य बताएं एसे ही और कहानिया ( hindi stories ) पढने के लिए हमारें वेबसाइट पर विजिट करें धन्यवाद ।

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1 thought on “एक सेठ और संत की कहानी – Hindi stories”

  1. बहुत अच्छी कहानी है आप ऐसे ही और कहानी लाते रहें

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