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Mahashivratri 2025: व्रत, पूजा और वास्तविक भक्ति का रहस्य

Published on: February 20, 2025
Mahashivratri 2025 date

Mahashivratri 2025 in Hindi: नमस्कार पाठको ! आज के इस लेख में हम महाशिवरात्रि 2025 का महत्व, पूजा विधि, और वास्तविक भक्ति का शास्त्रानुकूल मार्ग के बारे जानेंगे तो आईये जानते हैं भगवान शिव से जुड़े तथ्य, व्रत और शिवलिंग पूजा का रहस्य, और मोक्ष के लिए सही साधना का उपाय।

महाशिवरात्रि 2025 कब है? | Mahashivratri 2025 Date

महाशिवरात्रि 2025 का पावन पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास रखते हैं और पूरी रात शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं।

यह पर्व विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिवजी और पार्वती का पवित्र मिलन हुआ था।

महाशिवरात्रि पूजा विधि | Mahashivratri 2025 Puja Vidhi

Mahashivratri 2025 in Hindi: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र, भस्म, जल, दूध, धतूरा, और भांग चढ़ाते हैं। कई स्थानों पर शिव मंदिरों में भजन-कीर्तन और जागरण आयोजित किए जाते हैं। भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और रात्रि में भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा करते हैं।

पूजा के दौरान “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी साधन माना गया है। साथ ही, शिव पुराण का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। लेकिन सवाल यहाँ यह उठता है कि क्या शिव की भक्ति से मोक्ष संभव है या नहीं ? जानने के लिए यह यह वीडियो देखें

महाशिवरात्रि का शास्त्रों में महत्व

भगवान शिव को त्रिदेवों में से एक और संहार के देवता माना गया है। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवजी को तमोगुण प्रधान देवता के रूप में पूजा जाता है। लेकिन यदि हम पवित्र वेद, श्रीमद्भगवद्गीता और अन्य धर्मग्रंथों को गहराई से समझें, तो कई ऐसे प्रश्न खड़े होते हैं जो इस पर्व की पारंपरिक मान्यताओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं।

गीता के अनुसार व्रत और मूर्तिपूजा का स्थान:

पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा गया है कि जो व्यक्ति शास्त्र विरुद्ध साधना करता है, उसे न सुख की प्राप्ति होती है और न ही मोक्ष। गीता में मूर्ति पूजा और व्रत को शास्त्रविरुद्ध बताया गया है। शिवलिंग पूजा का कोई प्रमाण वेदों या गीता में नहीं मिलता।

Mahashivratri 2025

क्या भगवान शिव अजर-अमर हैं?

पवित्र शिव पुराण और देवीभागवत महापुराण के अनुसार, भगवान शिव का जन्म और मृत्यु होता है। शिवजी को मृत्युंजय कहा जाता हैं, लेकिन वे पूर्ण परमात्मा नहीं हैं। उदाहरण के लिए, भस्मासुर की कथा में भगवान शिव स्वयं अपनी रक्षा के लिए भागते हुए दिखाए गए हैं। यदि शिवजी पूर्ण परमात्मा होते, तो वे भस्मासुर से डरते नहीं।

गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 का रहस्य:
गीता में स्पष्ट किया गया है कि तीन प्रकार के प्रभु हैं:

  1. क्षर पुरुष: यह ब्रह्म-काल है, जो 21 ब्रह्मांडों का स्वामी है।
  2. अक्षर पुरुष: इसे परब्रह्म भी कहा जाता है, जो सात संख ब्रह्मांडों का स्वामी है।
  3. परम अक्षर ब्रह्म: यह सर्वोच्च परमात्मा है, जो संपूर्ण सृष्टि का मालिक है।

भगवान शिव केवल तमोगुण के देवता हैं। वे परम अक्षर ब्रह्म यानी पूर्ण परमात्मा नहीं हैं।

वास्तविक भक्ति का मार्ग | Mahashivratri 2025 in Hindi

शिवजी ने अमरनाथ गुफा में माता पार्वती को “तारक मंत्र” दिया था, जिससे उनकी आयु शिवजी के समान हो गई। लेकिन वेदों और गीता के अनुसार, केवल शास्त्रानुकूल साधना से ही मोक्ष संभव है।

पूर्ण परमात्मा कौन हैं?

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं, जिन्होंने वेदों और गीता में बताए गए साधना विधान को स्पष्ट किया है। उन्होंने मूर्ति पूजा, शिवलिंग पूजा, व्रत और अन्य शास्त्रविरुद्ध क्रियाओं को त्यागने की सलाह दी है।

इसे भी पढ़ें – कबीर साहेब जी कौन हैं

सतभक्ति का मार्ग:

कबीर साहेब कहते हैं:

“तज पाखंड सतनाम लौ लावै, सोई भवसागर से तरियाँ।
कह कबीर मिले गुरु पूरा, स्यों परिवार उधारियाँ।”

सतगुरु से तत्वज्ञान प्राप्त कर सतनाम और सारनाम का सुमिरण करने से ही मोक्ष संभव है। वर्तमान समय में केवल संत रामपाल जी महाराज शास्त्रानुकूल साधना का मार्ग प्रदान कर रहे हैं।

महाशिवरात्रि पर व्रत और पूजा क्यों न करें?

  1. शास्त्रविरुद्ध है व्रत और मूर्तिपूजा:
    गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार, अत्यधिक उपवास या कठोर तप से मोक्ष संभव नहीं है।
  2. शिवलिंग पूजा का विरोध:
    कबीर साहेब ने स्पष्ट रूप से कहा है कि शिवलिंग पूजा शास्त्रविरुद्ध है।
  3. मोक्ष का सही मार्ग:
    केवल सतगुरु से तत्वज्ञान और तारक मंत्र प्राप्त कर सुमिरण करने से मोक्ष संभव है।

ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल | Mahashivratri 2025 FAQs

1. महाशिवरात्रि 2025 कब है?
महाशिवरात्रि 2025 इस साल 26 फरवरी को है।

2. महाशिवरात्रि पर व्रत रखने का क्या लाभ है?
गीता के अनुसार व्रत शास्त्र विरुद्ध साधना है। इससे कोई लाभ नहीं होता।

3. क्या भगवान शिव पूर्ण परमात्मा हैं?
नहीं, भगवान शिव पूर्ण परमात्मा नहीं हैं। गीता और पुराणों के अनुसार, उनसे ऊपर परम अक्षर ब्रह्म यानी कबीर साहेब जी हैं।

4. मोक्ष की प्राप्ति कैसे संभव है?
पूर्णगुरु से सतनाम और सारनाम प्राप्त कर सतभक्ति करने से मोक्ष संभव है।

5. क्या शिवलिंग की पूजा शास्त्र सम्मत है?
नहीं, शिवलिंग पूजा का उल्लेख वेदों और गीता में नहीं है। यह शास्त्रविरुद्ध साधना है।

निष्कर्ष:
Mahashivratri 2025 (महाशिवरात्रि 2025) को पारंपरिक रूप से मनाना आपकी आस्था पर निर्भर करता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, केवल पूर्ण परमात्मा की शरण और शास्त्रानुकूल साधना से ही मोक्ष संभव है। संत रामपाल जी महाराज से तत्वज्ञान प्राप्त कर सही साधना का मार्ग अपनाएं और अपने जीवन को सफल बनाएं।

अधिक जानकारी के लिए:
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने और पवित्र पुस्तकों को पढ़ने के लिए उनका मोबाइल ऐप डाउनलोड करें।

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