राम-राम क्यों बोलते हैं, कौन है असली राम ?

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दोस्तों आपने राम का नाम अवश्य सुना होगा, ज्यादातर पुराने ज़माने ( 19वीं ) सदी के लोग जब आपस में मिलते तो उनके मुख से एक दूसरे से बातचीत करते समय राम-राम नाम अवश्य सुना होगा लेकिन क्या आपको उसके पीछे का रहस्य पता है ? आखिर राम – राम क्यों बोलते है, क्या राम-राम कहने से मुक्ति संभव है, कौन है असली राम ? तो आईये आज के इस ब्लॉग में हम इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानते है

राम-राम क्यों बोलते हैं, कौन है असली राम ?

राम-राम बोलने के पीछे का रहस्य

पुराने समय के लोग या यूँ कहें है ( 19वीं ) सदी के पहले के लोगों के मुख से अक्सर राम-राम सुनने को मिलता था। आज भी कुछ लोग राम-राम बोलते है। इस पर लोगो के अपने अलग – अलग विचार हो सकते है परन्तु वास्तविकता की बात कि जाये तो राम – राम इसलिए बोला जाता है ताकि राम का याद बना रहे , राम के नाम को भूलें नहीं अर्थात जिसने इस सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की उसका स्मरण सदैव करते रहना चाहिए। यहाँ पर राम का अर्थ दशरथ पुत्र राम से नहीं है । असली राम तो कोई और है जिसे आदि राम भी कहा जाता है ।

कौन है असली राम

कबीर साहेब जी की बहुत ही प्रसिद्ध वाणी हैं

एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा ।
एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा | |
एक राम इन सबसे न्यारा, चौथा छोड़ पांचवा को धावै, कहै कबीर सो हम पर आवै ।।

कबीर साहेब जी

भावार्थ:
कबीर साहेब जी कहते है कि पहला राम दशरथ का बेटा है, दूसरा राम जो हमारे घट-घट में बैठा है और वो है हमारा मन, तीसरा राम काल निरंजन नाशवान 21 ब्रह्मांड का मालिक है,
चौथा राम परब्रह्म / अक्षर पुरुष (नाशवान 7 शंख ब्रह्मांड का मालिक ),
परन्तु सबसे न्यारा है पांचवा और असली राम (अनंत ब्रह्माण्ड, अमरलोक का मालिक कबीर परमपिता परमेश्वर ) जो सबसे ऊंचा है, सबसे बड़ी ताकत है, वह इस सृष्टि का कर्ता-धर्ता है । कबीर कबीर साहेब जी ने उस सृजनहार या राम को याद करने के लिए कहा है।

राम-राम क्यों बोलते हैं, कौन है असली राम ?

राम और आदि राम में अंतर

राम शब्द अपने आप में एक परम शक्ति की तरफ संकेत करता है, भगवान का बोध कराता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम और अविनाशी राम दोनों अलग-अलग है ?
सुनने में बड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह सत्य है। इसके लिए निम्न वाणी को समझना बहुत आवश्यक है।

कबीर, एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा।
एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा।।

यहां पर राम चार प्रकार के बताए गए हैं जिससे यह साबित होता है कि राम केवल दशरथ पुत्र वाला राम ही नहीं है बल्कि अनेक राम है अर्थात् राम/प्रभु अनेक है तथा अविनाशी राम कोई ओर है।

अयोध्या में राजा दशरथ के घर श्री रामचंद्र जी ने जन्म लिया जो विष्णु जी के अवतार थे जिन्हें त्रिलोकीनाथ भी कहा जाता है लेकिन वेदों में लिखा है कि परमात्मा यानि वह अविनाशी राम कभी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता। वह स्वयं प्रकट होता है यानि यह सशरीर आता है व सशरीर जाता है। लेकिन श्री रामचंद्र जी ने माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया एवं सरयू नदी में जल समाधि लेकर अपना जीवन समाप्त किया।

अब हम बात करते हैं अविनाशी राम की, जो अनंत करोड़ ब्रह्मांडो के मालिक हैं, जिनका जन्म माता से नहीं होता। वह वासना के लिए स्त्री ग्रहण नहीं करता। उसका शरीर अस्नाविरम है अर्थात् पांच तत्व के नाड़ी तंत्र का बना हुआ नहीं बल्कि एक तत्व का नूरी अमर शरीर है।

वेदों के अनुसार वह अविनाशी राम, स्वयं कबीर परमेश्वर (कविर्देव/कविर्) है। जो सशरीर शिशु रूप में काशी के लहरतारा सरोवर में कमल के फूल पर प्रकट हुए और 120 साल धरती पर रहकर अपना तत्वज्ञान प्रचार करके सशरीर मगहर से अपने‌ निजधाम सतलोक को चले गए।

आज हमें आवश्यकता है, तो उस अविनाशी राम को पहचानने और उसके बताए अनुसार भक्ति करने की जिससे हम उस अविनाशी राम/परमात्मा को प्राप्त होकर जन्म-मृत्यु के चक्र से खुद को छुड़ा सकते हैं।

क्या राम-राम कहने मात्र से मुक्ति संभव है

कबीर साहेब जी बताते है कि जिस प्रकार गुड़ – गुड़ ( खाने वाला गुड़ ) कहने मात्र से मुख मीठा नहीं होता उसी प्रकार केवल राम – राम कहने मात्र से राम नहीं मिलते अर्थात राम राम कहने मात्र से मुक्ति नहीं होती ।

कबीर साहेब जी वाणी है

कबीर, पंडित वाद बदे सो झूठा।
राम के कहे जगत गति पावै , खाँड़ कहे मुख मीठा।।

कबीर साहेब जी

Read in English

आज जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज कबीर परमेश्वर की यथार्थ भक्ति विधि बता रहे हैं। इस भक्ति को करने से मनुष्य सनातन परमधाम सतलोक को प्राप्त हो जाता है और कभी जन्म-मरण में नहीं आता।

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