Sant Garib Das Jivan Parichay: नमस्कार पाठको! जैसा कि आप जानते हैं भारत एक ऐसी पवित्र भूमि है, जहां समय-समय पर महान संत, महात्मा और अवतारी शक्तियाँ जन्म लेती रही हैं। इन महान संतों ने समाज में व्याप्त अज्ञानता, अंधविश्वास और कुरीतियों को मिटाकर सत्य ज्ञान का प्रकाश फैलाया। इन्हीं में से एक महान संत थे बंदी छोड़ संत गरीबदास जी महाराज, जिनका जीवन और उपदेश मानव मात्र के लिए मार्गदर्शक हैं। तो आईये आज हम इस लेख के माध्यम से संत गरीबदास जी महाराज के जीवन परिचय और उनके परमेश्वर कबीर साहेब जी से साक्षात्कार और उनके अद्भुत ज्ञान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
संत गरीबदास जी का जीवन परिचय
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
Sant Garib Das Jivan Parichay: संत गरीबदास जी महाराज का जन्म सन 1717 ईस्वी में हरियाणा राज्य के झज्जर जिले के छुड़ानी गाँव में हुआ था। उनका जन्म एक जाट धनखड़ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री बलराम जी और माता का नाम श्रीमती रानी देवी जी था। छुड़ानी गाँव उनके ननिहाल था, और उनके नाना श्री शिवलाल जी थे, जिनकी कोई संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने दामाद बलराम जी को घर जमाई के रूप में रखा।

गरीबदास जी का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके नाना के पास 2500 बीघा (लगभग 1400 एकड़) भूमि थी, जिसका उत्तराधिकार बाद में संत गरीबदास जी को मिला।
बाल्यकाल और आध्यात्मिक झुकाव
गरीबदास जी बचपन से ही अन्य ग्वालों (गाय चराने वालों) के साथ गौ चराने जाते थे। वे अत्यंत शांत, सरल और सत्यप्रिय स्वभाव के थे। एक दिन जब वे अपने साथियों के साथ भोजन कर रहे थे, तभी उनके जीवन में एक अद्भुत घटना घटी, जिसने उनके पूरे जीवन की दिशा ही बदल दी।
परमेश्वर कबीर जी का साक्षात्कार
Sant Garib Das Jivan Parichay: एक दिन 10 वर्ष के बालक गरीबदास जी अपने ग्वाल साथियों के साथ कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में एक जांडी के पेड़ के नीचे बैठे भोजन कर रहे थे। उसी समय परमेश्वर कबीर साहेब सतलोक से धरती पर प्रकट हुए। वे जीवों को सत्य ज्ञान प्रदान करने के लिए अवतरित हुए थे।
जब कबीर साहेब वहाँ पहुंचे तो ग्वालों ने उनका अभिवादन करते हुए कहा – “बाबा जी, राम-राम!”
परमेश्वर कबीर जी ने भी उत्तर दिया – “राम-राम!”
कुंवारी गाय का दूध निकालने की लीला
ग्वालों ने बाबा जी को भोजन करने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन कबीर साहेब ने कहा कि वे पहले ही अपने गाँव से भोजन करके आए हैं। तब ग्वालों ने कहा कि उन्हें दूध अवश्य पीना होगा क्योंकि वे अपने अतिथि को बिना खिलाए-पिलाए जाने नहीं देते।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा – “मैं केवल कुंवारी गाय का दूध पीता हूँ!”
ग्वालों ने हँसकर कहा – “बाबा जी! क्या मज़ाक कर रहे हो? कुंवारी गाय तो दूध नहीं देती!”
तभी बालक गरीबदास जी एक 1.5-2 वर्ष की बछिया को परमेश्वर जी के पास ले आए। परमेश्वर कबीर जी ने बछिया के पीठ पर हाथ फेरा और चमत्कार हुआ – बछिया के स्तन बढ़ गए और दूध निकलने लगा। मिट्टी के एक पात्र में दूध निकला और परमेश्वर ने उसे पिया।

बाकी ग्वालों ने इस दूध को पीने से मना कर दिया, लेकिन गरीबदास जी ने उसे अमृत समझकर पिया। इसी क्षण से उनके भीतर आध्यात्मिक चेतना जागृत हुई और उन्हें अद्वितीय ज्ञान प्राप्त हुआ।
यह भी पढ़िए – संत गरीबदास जी महाराज जी का बोध दिवस कब, क्यों और कहाँ मनाया जाता है
संत गरीबदास जी को सतलोक की सैर
परमेश्वर कबीर जी ने बालक गरीबदास जी की आत्मा को उनके शरीर से अलग किया और सत्यलोक (अमर लोक) की सैर कराई।
उन्होंने उन्हें श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु, श्री शिव, देवी दुर्गा, ब्रह्म लोक, और फिर अक्षर पुरुष के लोक में भ्रमण कराया। अंततः, कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को 12वें द्वार के पार, भंवर गुफा होते हुए सत्यलोक में ले गए। वहाँ उन्होंने असली परमेश्वर का दर्शन कराया, जिनका स्वरूप तेजोमय था और जिनके एक रोम से करोड़ों सूर्यों के बराबर प्रकाश निकल रहा था।
गरीबदास जी ने वहाँ देखा कि कबीर साहेब ही सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान थे। तब उन्हें यह ज्ञान हुआ कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं।

संत गरीबदास जी का पुनर्जन्म और समाज में प्रचार
Sant Garib Das Jivan Parichay: जब गरीबदास जी की आत्मा सतलोक से लौटी, तो उनके माता-पिता और गाँव वाले उन्हें मृत मानकर अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। लेकिन कबीर साहेब ने उनकी आत्मा को पुनः शरीर में प्रवेश करा दिया।
जब वे जीवित हो गए, तो वे “बावला” (पागल) कहे जाने लगे, क्योंकि वे उस अद्भुत ज्ञान के बारे में बताते थे जो उन्होंने सतलोक में प्राप्त किया था।
दादू पंथी संत गोपालदास जी से भेंट
Sant Garib Das Jivan Parichay: तीन वर्ष बाद, दादू पंथी संत गोपालदास जी उनसे मिलने आए। संत गरीबदास जी ने उन्हें सतलोक और कबीर परमेश्वर के ज्ञान के बारे में बताया। गोपालदास जी उनके शिष्य बन गए और श्री सद्ग्रंथ साहिब की रचना में उनकी सहायता की।
अमर वाणी और शिक्षा
संत गरीबदास जी ने समाज में फैले अंधविश्वास और पाखंड को दूर करने के लिए सत्य ज्ञान का प्रचार किया। उन्होंने कहा –
एकै बिन्द एके भग द्वारा, एकै सब घट बोलन हारा ।
कौम छतीस एक ही जाति, ब्रह्म बीज सब की उतपाती ।
एकै कुल एकै परिवारा, ब्रह्म बीज का सकल पसारा ।
ऊँच नीच इस विधि है लोई, कर्म कुकर्म कहावे दोई ।
गरीब दास जिन नाम पिछान्या, ऊँच नीच पदवी प्रवाना ।
संत गरीबदास जी का सतलोक गमन
61 वर्ष की आयु में, सन 1778 में संत गरीबदास जी महाराज ने सतलोक गमन किया। उनके शरीर का अंतिम संस्कार छुड़ानी गाँव में किया गया, जहाँ आज भी उनकी यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
और अधिक आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन सुबह 7:30 से 8:30 बजे तक साधना चैनल पर संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन अवश्य सुनें। संत रामपाल जी महाराज इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं, जो सत्य आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. संत गरीबदास जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म सन 1717 में हरियाणा के झज्जर जिले के छुड़ानी गाँव में हुआ था।
2. संत गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कैसे दर्शन दिए?
उत्तर: 10 वर्ष की आयु में, परमेश्वर कबीर जी ने सतलोक से प्रकट होकर उन्हें साक्षात दर्शन दिए और सत्यलोक की सैर कराई।
3. संत गरीबदास जी ने कौन सा ग्रंथ लिखवाया?
उत्तर: उन्होंने श्री सद्ग्रंथ साहिब (अमर बोध, अमर ग्रंथ) की रचना की, जिसमें 24,000 मंत्र और 7,000 छंद हैं।
4. संत गरीबदास जी का समाज को मुख्य संदेश क्या था?
उत्तर: वे जाति-पाति, ऊँच-नीच, मद्यपान और मांसाहार का विरोध करते थे और सतनाम भक्ति पर जोर देते थे।
5. संत गरीबदास जी को बंदी छोड़ क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि उन्होंने जीवों को काल के बंधन से मुक्त करने का मार्ग बताया।