Divya Dharm Yagya Diwas [Hindi]: दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है कब मनाया जायेगा ?

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नमस्कार दोस्तों! आपने बहुत सारे यज्ञ देखें होंगे लेकिन आज हम आपको दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के बारे बताएँगे कि दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है ? और यह कहाँ और कब मनाया जायेगा ? तो चलिए जानते हैं

Divya Dharm Yagya Diwas

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस (Divya Dharm Yagya 2022)

Divya Dharm Yagya Diwas [Hindi]: आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व कबीर साहेब जी ने विशाल भंडारा किया था जिसमे लगभग अट्ठारह लाख लोगों ने भंडारा किया था । इसके उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के पावन सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस मनाया जाएगा । जिसमें आदरणीय संत गरीब दास जी महाराज जी के अमरवाणी का अखंड पाठ, विशाल भंडारा का आयोजन किया जाएगा । यह आयोजन 7-8-9 नवम्बर 2022 को किया जा रहा है।

शेखतकी द्वारा झूठी चिठ्ठी भेजवाना

दोस्तों आप कबीर साहेब जी के बारे जानते ही होंगे । जब कबीर साहेब जी काशी यानि बनारस में आये थे तब उनके ऊपर कई प्रकार की यातनाएं दी गयी । उनमें से एक था नौ लाख लोगों को भंडारा कराना । दिल्ली बादशाह सिकन्दर लोदी के सेनापति शेखतकी ने हर जगह झूठा चिठ्टी भेजवा दिया कि कबीर साहेब जी भंडारा कर रहे है सभी नगर निवासी को बुलाया है और एक एक सोने की सिक्के दिए जाएंगे । यह झूठी चिट्ठी शेखतकी ने इसलिए भेजवाया ताकि कबीर साहेब जी को अपमानित किया जा सके और उनके प्रति लोगो के मन में द्वेष भावना जग सके । लेकिन ऐसा नहीं हुआ

कबीर साहेब जी द्वारा विशाल भंडारा

सिमटा भेष इकट्टा हुआ, काजी पंडित माहीं । गरीबदास चिठ्ठा फिर्या, जंबूदीप सब ठाहीं ॥।

Divya Dharm Yagya Diwas [Hindi]: नकली हिंदू और मुसलमानों के धर्म गुरुओं द्वारा भंडारे की झूठी चिठ्टी व निमंत्रण पाकर समस्त भारत के लोग, ऋषि, मण्डलेश्वर आदि भंडारे करने आये । उन षड़यंत्राकारियों ने काशी नगर में भोजन-भण्डारा( लंगर) देना सुनियोजित सोची- समझी चाल के तहत दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी को भी भंडारे का निमंत्राण भेजा था। सोचा था कि सिकंदर राजा आएगा । यहाँ कोई भंडारा नहीं मिलेगा । जनता कबीर को गालियाँ दे रही होगी । अराजकता का माहौल होगा । कबीर भाग जाएगा । राजा के मन से उसकी महिमा समाप्त हो जाएगी । शेखतकी जो राजा सिकंदर का धार्मिक पीर( गुरू) था तथा मंत्री भी था, वह इस षड़यंत्र का मुखिया था ।

जब राजा व शेखतकी भंडारा स्थल पर आए तो देखा लंगर लग रहा है । मोहन भोजन परोसे जा रहे हैं । दक्षिणा भी दी जा रही है । कबीर जी सेठ की जय बुलाई जा रही है । राजा ने उपस्थित व्यक्तियों से पूछा कि भंडारा कौन कर रहा है? उत्तर मिला कि कबीर सेठ जुलाहा कर रहा है । वह तो अभी आए नहीं हैं । उनका नौकर सामने तंबू में बैठा है । वह सब व्यवस्था कर रहा है । राजा सिंकदर तथा शेखतकी तंबू के पास गए । उस व्यक्ति का परिचय पूछा तो बताया कि मेरा नाम केशव बनजारा है । कबीर मेरा पगड़ी- बदल मित्रा है । उनका पत्रा मेरे पास गया था कि आप कुछ सामान भंडारे का लेते आना । छोटा- सा भंडारा करना है । मैं हाजिर हो गया ।कबीर जी कहाँ है? राजा ने पूछा । वे किस कारण से नहीं आए? केशव ने कहा कि वे मालिक हैं । मर्जी है कभी आएँ । उनका नौकर जो बैठा है । यह व्यवस्था वे स्वयं ही कुटी में बैठे संभाल रहे हैं । वे परमात्मा हैं ।

राजा सिकंदर हाथी पर सवार होकर कबीर जी की कुटी पर पहुँचा । दरवाजा बंद था । निवेदन करके खुलवाया तथा कहा कि आप मेरा दिल का निवेदन स्वीकार करके मेरे साथ मेले में भंडारे पर चलो तो परमात्मा ने कहा कि हे राजन! मेरे साथ अभद्र मजाक किया गया है । मैं निर्धन व्यक्ति कपड़ा बुनकर परिवार का पोषण कर रहा हूँ । अठारह लाख साधु भोजन- भंडारा छकने आए हैं । तीन दिन का भंडारा पत्रा में लिखा है । मैं कहाँ से खिलाऊँगा? मैं तो घर से बाहर नहीं निकल सकता । रात्रि में परिवार सहित भाग जाऊँगा । हे राजा! इन भेषों वालों ने काम बिगाड़ा है । झूठी चिट्ठी मेरे नाम से भेज रखी है । मेरा उदर भी नहीं भरता । मेरी माता तथा पिता( मुह बोले माता- पिता) मेरे पर क्रोध करेंगे । कोई काशी नगर में सेठ( शाह) भी मुझे उधार नहीं देता क्योंकि मेरी आमदनी कम है, निर्धन हूँ । मैं कैसे आपके साथ मेले में भंडारे के स्थान पर चलूँ ।

राजा सिकंदर जो दिल्ली का सम्राट था, उसने हाथ जोड़कर कहा कि हे कबीर! आप परमात्मा( अल्लाह) हो । नर रूप बनाकर आए हो । तुम दयाल( दरवेश) संत हो । कबीर ने( करम) रहम किया । चलने के लिए उठे तो आकाश से फूल बरसने लगे । सिकंदर राजा ने परमात्मा कबीर को हाथी पर बैठाया । साथ में रविदास जी कबीर जी के सिर के ऊपर चंवर करते हुए कबीर जी क आदेश अनुसार उनके साथ हाथी पर बैठ गए । राजा भी हाथी पर उनके साथ बैठा । फिर रविदास जी से निवेदन करके राजा सिकंदर ने चंवर ले लिया और कबीर जी के ऊपर चंवर करने लगे । कबीर परमात्मा के सिर के ऊपर अपने आप मनोहर मुकुट आकर सुशोभित हो गया । काशी पुरी के व्यक्ति बेचैनी से कबीर परमेश्वर के दर्शन करने का इंतजार कर रहे थे ।

भंडारा स्थल पर आए तो केशव रूप उनके हाथी के पास आया तथा कहा कि हे कबीर प्रभु! आपने यहाँ आने का कष्ट क्यों किया? आपका दास जो सेवा में हाजिर है । उसकी बात को अनसुना करके तीनों हाथी को आगे मेले में ले गए जहाँ अठारह लाख व्यक्ति ठहरे थे । वह तो बहुत बड़ा मेला था । चैपड़ के बाजार में घूम- फिरकर केशव के पास आ गए । जब कबीर जी हाथी से उत्तरे तथा केशव वाले तंबू में गए तो अपने आप सुंदर तख्त आ गया तथा उसके ऊपर सुंदर बिछौनी बिछ गई । बिछौनी के चारों ओर हीरे, लाल लग गए । महाराजा जैसा आसन लग गया । दूसरी ओर ऐसा ही केशव के लिए लगा था । कबीर जी को देखने के लिए सब साधु- संत आकर चारों ओर कुछ बैठ गए, पीछे वाले खड़े रहे । परमात्मा कबीर जी ने केशव के साथ( आठ पहर) चैबीस घंटे लगातार आध्यात्मिक गोष्ठी की, तत्त्वज्ञान सुनाया । लगभग दस लाख उन भ्रमित साधुओं के शिष्यों ने कबीर जी से दीक्षा ली और जीवन
सफल किया ।

Read in English: Why Celebrated Divya Dharm Yagya Diwas? Date & Story

आया है, आया है, बंजारा केशो आया है. काशी ल्याया माल अपारा, केशो आया है।

खुल्या भंडारा गैब का, बिन चिठी बिन नाम । गरीबदास मुक्ता तुले, धन्य केशो बलि जाव ।।

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस कहाँ – कहाँ मनाया जा रहा है

Divya Dharm Yagya Diwas [Hindi]: जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में “दिव्य धर्म यज्ञ दिवस” के उपलक्ष्य में आदरणीय संत गरीब दास जी महाराज जी के अमरवाणी का अखंड पाठ, विशाल भंडारा व निःशुल्क नाम दीक्षा का आयोजन 7-8-9 नवम्बर 2022 को किया जा रहा है।जिसमें आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं। यह समागम निम्न जगहों पर मनाया जा रहा है

  • सतलोक आश्रम, शामली, उत्तरप्रदेश।
  • सतलोक आश्रम, कुरुक्षेत्र, हरियाणा ।
  • सतलोक आश्रम, धुरी, पंजाब ।
  • सतलोक आश्रम, मुंडका दिल्ली।
  • सतलोक आश्रम, रोहतक, हरियाणा।
  • सतलोक आश्रम, खमाणो, पंजाब ।
  • सतलोक आश्रम, सोजत, राजस्थान ।
  • सतलोक आश्रम, इन्दौर, मध्य प्रदेश ।
  • सतलोक आश्रम, भिवानी, हरियाणा ।

FAQ about Divya Dharm Yagya Diwas 2022 [Hindi]

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस कब है ?

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस आयोजन 7-8-9 नवम्बर 2022 को किया जा रहा है।

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस कहाँ मनाया जा रहा ?

  • सतलोक आश्रम, शामली, उत्तरप्रदेश।
  • सतलोक आश्रम, कुरुक्षेत्र, हरियाणा ।
  • सतलोक आश्रम, धुरी, पंजाब ।
  • सतलोक आश्रम, मुंडका दिल्ली।
  • सतलोक आश्रम, रोहतक, हरियाणा।
  • सतलोक आश्रम, खमाणो, पंजाब ।
  • सतलोक आश्रम, सोजत, राजस्थान ।
  • सतलोक आश्रम, इन्दौर, मध्य प्रदेश ।
  • सतलोक आश्रम, भिवानी, हरियाणा ।

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस किस उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है ?

दिव्य धर्म यज्ञ दिवस (कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, चौदस से मार्ग शीर्ष, कृष्ण पक्ष, एकम तक) विक्रम संवत 1570 (सन 1513) में परमेश्वर कबीर जी ने काशी (उत्तरप्रदेश, भारत) में 3 दिन का विशाल भंडारा किया था जिसमें 18 लाख साधु संत आये थे। उसके उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य मनाया जा रहा है ।

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