कबीर बड़ा या कृष्ण? -भूमिका

Date:

’’कबीर बड़ा या कृष्ण‘‘ नामक पुस्तक संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित है इस पुस्तक में अध्यात्म ज्ञान का विशेष विश्लेषण है जो आप जी ने कभी सुना तक नहीं होगा, न किसी पुस्तक में पढ़ा होगा। इस Blog में हम कबीर बड़ा या कृष्ण पुस्तक की भूमिका को आपके सामने रखा है

कबीर बड़ा या कृष्ण

कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।

कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान। जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा। हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

कबीर बड़ा या कृष्ण – Kabir Bada or Krishna

 भूमिका

’’कबीर बड़ा या कृष्ण‘‘ नामक पुस्तक में अध्यात्म ज्ञान का विशेष विश्लेषण है जो आप
जी ने कभी सुना तक नहीं होगा, न किसी पुस्तक में पढ़ा होगा। प्रमाण पर प्रमाण देकर सत्य
को स्पष्ट किया है। अपने ग्रन्थों के गूढ़ रहस्यों को सरल किया है जो आज तक किसी धर्मगुरू,
ऋषि, महर्षि तथा श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा शिव जी को ज्ञान नहीं है। यह कथन एकदम
सत्य है, परंतु पूर्ण असत्य लगता है। जब आप जी इस पुस्तक को पढ़ेंगे तो दाँतों तले ऊंगली
दबाओगे। सत्य को प्रमाण सहित देखकर भी स्वीकार नहीं करना चाहोगे क्योंकि आप असत्य
ज्ञान जन्म से ही सत्य मानकर सुनते आए हैं। हिन्दू समाज निःसंदेह ग्रन्थों को सत्य मानता है।
जैसे गीता, चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद), श्रीमद्भागवत (सुधासागर),
महाभारत ग्रन्थ तथा अठारह पुराण आदि हिन्दू धर्म के प्रमाणित पवित्रा ग्रन्थ माने गए हैं। जो
प्रकरण इन पवित्रा शास्त्रों में लिखा है, उसे स्वीकार करने में हिन्दू धर्म के व्यक्ति को देर नहीं
लगती।

कबीर बड़ा या कृष्ण – Kabir Bada or Krishna

कबीर, जान बूझ साची तजै, करै झूठ से नेह।
ताकि संगत हे प्रभु! स्वपन में भी ना देह।।

शब्दार्थ:- जो आँखों देखकर भी सत्य को स्वीकार नहीं करता, वह शुभकर्म हीन प्राणी है।
ऐसे व्यक्ति से मिलना भी उचित नहीं है। जाग्रत की तो बात छोड़ो, ऐसे कर्महीन व्यक्ति
(स्त्राी-पुरूष) से तो स्वपन में भी सामना ना हो।

Kabir Saheb JI

फिर कबीर जी ने कहा है कि:-

ऐसा पापी प्रभात ना भैंटो, मुख देखें पाप लगै जाका।
नौ-दश मास गर्भ त्रास दई, धिक्कार जन्म तिस की माँ का।।

शब्दार्थ:- ऐसा निर्भाग व्यक्ति सुबह-सुबह ना मिले। ऐसे का मुख देखने से भी पाप लगता
है। उसने तो अपनी माता जी को भी व्यर्थ में नौ-दस महीने गर्भ का कष्ट दिया। उसने अपनी
माता का जन्म भी व्यर्थ कर दिया। 

कबीर जी ने फिर कहा है कि:-

कबीर, या तो माता भक्त जनै, या दाता या शूर।
या फिर रहै बांझड़ी, क्यों व्यर्थ गंवावै नूर।।

शब्दार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि या तो जननी भक्त को जन्म दे जो शास्त्रा में प्रमाण
देखकर सत्य को स्वीकार करके असत्य साधना त्यागकर अपना जीवन धन्य करे। या किसी
दानवीर पुत्रा को जन्म दे जो दान-धर्म करके अपने शुभ कर्म बनाए। या फिर शूरवीर बालक को
जन्म दे जो परमार्थ के लिए कुर्बान होने से कभी न डरता हो। सत्य का साथ देता है, असत्य
तथा अत्याचार का डटकर विरोध करता है। उसके चलते या तो स्वयं मर जाता है या अत्याचारी
की सेना को मार डालता है। अपने उद्देश्य से डगमग नहीं होता। यदि ऐसी अच्छी संतान उत्पन्न
न हो तो निःसंतान रहना ही माता के लिए शुभ है। पशुओं जैसी संतान को गर्भ में पालकर अपनी
जवानी को क्यों नष्ट करे यानि निकम्मी संतान गलती करके माता-पिता पर 304.ठ का मुकदमा
बनवाकर जेल में डलवा देती है। इससे तो बांझ रहना ही उत्तम है।


सर्व मानव समाज से करबद्ध नम्र निवेदन है कि आप सब शास्त्रों के विरूद्ध साधना कर
रहे हो। इस पवित्र पुस्तक कबीर बड़ा या कृष्ण को पढ़कर सत्य से परिचित होकर असत्य को त्यागकर सत्य साधना
जो शास्त्रा प्रमाणित है, करके अपना अनमोल मानव (स्त्राी-पुरूष का) जीवन धन्य बनाओ। अपना
कल्याण करवाओ।


सब संतों व धर्म प्रचारकों तथा गुरूजनों को दास ने (रामपाल दास) बहुत बार प्रार्थना की
है कि आप मेरे से मिलो या मुझे बुलाओ ताकि मिलकर निर्णय करें कि यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान
कौन-सा है? शास्त्रों में वर्णित भक्ति कौन-सी है? भक्त समाज इधर-उधर भटक रहा है। इनको
शास्त्राविधि अनुसार भक्ति का मार्ग बताया जाए जिससे इनका आत्म कल्याण हो सके।
सन् 2012 में टी.वी. चैनलों पर एड चलवाकर भी सबसे आग्रह किया था। टी.वी. चैनल
भी बुक करवाया था कि भक्त समाज के सामने डिबेट हो ताकि समाज को पता चले कि सत्य
क्या है? असत्य क्या है? परंतु कोई संत या गुरू नहीं आया। या तो उनको पता है कि हम शास्त्रा
विरूद्ध ज्ञान व साधना बता रहे हैं। हमारी पोल खुल जाएगी। या इनका अहंकार आड़े अड़ा है
जो पतन का कारण है। इस पुस्तक कबीर बड़ा या कृष्ण में सत्य तथा निर्णायक ज्ञान बताया है। आशा करता हूँ
शिक्षित मानव समझकर अपना जीवन सत्य साधना करके धन्य बनाएगा।

।। सत साहेब।।

दिनांक:- 17.02.2014
सर्व का शुभचिंतक
लेखक
दासन दास रामपाल दास
पुत्रा/शिष्य स्वामी रामदेवानंद जी
सतलोक आश्रम बरवाला
जिला-हिसार, हरियाणा (भारत)

Previous

Next

3 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Ganesh Chaturthi 2023 in hindi: जानिए असली विघ्नविनाशक

प्रत्येक वर्ष माघ महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी...

Raksha Bandhan 2023: सबका रक्षक कौन है ? संत रामपाल जी

नमस्कार दोस्तों। आज हम इस लेख में रक्षाबंधन पर्व...

Avataran Diwas kab hai: Know Aim Of Sant Rampal Ji

There is a widespread belief that the Supreme Power...

Mathematic Quiz